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3 जनवरी को जन्मी भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावत्री बाई फुले का 190वां जन्म दिवस धूमधाम से मनाया

अनिश न्यूज (अनिल कुमार अग्रवाल)
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) 03 जनवरी 2021

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले (3 जनवरी 1831 – 10 मार्च 1897) भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। आज 3 जनवरी 2021 को 190वां जन्म दिवस देशभर के साथ अलवर जिले में धूमधाम के साथ मनाया गया। ऑल इण्डिया सैनी समाज के जिलाध्यक्ष डॉ. नन्दराम सैनी के नेतृत्व में नाहर खोहरा ग्राम पंचायत में स्थित शिव कुण्ड मंदिर पर तथा दीवली में ब्लॉक अध्यक्ष गुल्या राम सैनी के निज निवास पर 3 जनवरी को कार्यक्रम आयोजित किया गया।

जानकारी के अनुसार समस्त सैनी समाज ने सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले के जन्म दिन को एक आदर्श दिवस के रूप में मनाया। ग्राम पंचायत नाहरखोहरा में शिव कुण्ड मंदिर पर सरपंच प्रतिनिधी डॉ. नन्दराम सैनी के नेतृत्व में जन्म दिवस मनाया गया। इस दौरान सावित्रीबाई फुले की तस्वीर पर फूल माला पहनाई गई। इस दौरान काडूराम सैनी, मोतीराम सैनी, बदलूराम सैनी, भीमसिंह सैनी, शिवलाल सैनी, तेजसिंह सैनी, राधेराम सैनी, किशन राम सैनी, यादराम सैनी, बिसराम सैनी, दयाराम सैनी, प्रताप सैनी, योगेश सैनी सहित र्दजनों गणमान्य लोग मौजूद थे।

दीवली में आयोजित कार्यक्रम ऑल इण्डिया सैनी समाज के ब्लॉक अध्यक्ष गुल्या राम सैनी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जिसमें आगामी समय में प्रतिभा सम्मान समारोह के आयोजन के लिए नाहरखोहरा सरपंच प्रतिनिधी डॉ. नन्दराम सैनी ने 21 हजार देने की घोषणा की। इस दौरान गुलाब चन्द सैनी, रामचन्दर, मांगेलाल, विश्राम, महेश चन्द, लल्लूराम, प्रभुदयाल, काडूराम, सीताराम, धनीराम, रामसिंह, कजोड़ी सैनी सहित दर्जनों गणमान्य लोग मौजूद थे।

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की जीवनी:- सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया। जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं। उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।

सामाजिक मुश्किलें:- वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 171 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था। कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा। सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

विद्यालय की स्थापना:- 3 जनवरी 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया।

निधन:- 10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। जिसके कारण इनको भी प्लेग हो गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई।